Tuesday, September 25, 2007
cricket
क्रिकेट एक बहुत ही रोमांचक खेल है| काफी देर बाद आख़िर मैं हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों का आमना सामना फ़ाइनल मे हुआ| हर दफा आस्ट्रेलिया को जीतते देखकर क्रिकेट का मज़ा ही नही रहा| पाकिस्तान के सात जब हमारा मुकाबला होता हैं तो इसमे हुनर के सात सात जुनून की भी बहुत ज़रूरत होती है| हर दफा की तरह इस बार भी मैच आखिरी ओवर तक गया और अंत मैं हम फ़तह हुए| मुझे बहुत खुशी हुई की इतनी कोशिशों और इतने दबाव के बाद हिंदुस्तान ने ट्वेंटी ट्वेंटी विश्व कप को आसमान की तरफ़ उठाया| हमने धोनी में एक कैप्टन देखा और सचिन और द्रविड़ के न होते हुआ भी हमने दूसरी टीमों को हराया| युवराज ने पुरी सिरीज़ मे बहुत रन बनाया और ज़्यादातर उसकी कोशिशों के वजह से हम दूसरी टीमों के खिलाफ अच्छा स्कोर बनापाये| उम्मीद यही हैं की हम इसी तरह अपना मनोबल को और मज़बूत बनाए और आने वाले आस्ट्रेलिया सिरीज़ मे फ़तह हासिल करे|
Career Fair
हर सितम्बर के आखिरी हफ़्ते को हमारे कॉलेज मे करियर फेर होता है| इस वक़्त देश के कोने-कोने से तकरीबन सौ से दो सौ कम्पनियाँ हमारे कॉलेज मे आती है| यह फेर दो दिनो के लिये ही होता है इसलिये इन दो दिनो का छात्र पूरे तरीके से लाभ लेते है| इस वजह से ज़्यादती छात्र अपनी क्लास मे ना जाकर इस फेर मे हाज़िर होते है| मे एक इंजीनियर हुं और फेर मे ज्यादातर इन्जीनियरिन्ग कम्पनियाँ आती है| मेरे कॉलेज के पहले दो सालों मे मैने किसी बी कम्पनी के लिए एपलाइ नही किया, इसलिए नही की मे करना नही चाहता था, मगर इसलिए कि कम्पनी मुझे किस आधार पर नौकरी देती? मेरे पास कोई तज़ुर्बे नही था| पिछले साल मैने जाने का फ़ैसला किया था| फेर मे बहुत सारे छात्र और कम्पनियाँ थी| सुबह दस बजे से लेकर शाम के पाँच बजे तक मैने और मेरे दोस्तों ने तकरीबन बीस से तीस कंम्पनियों मे अर्जी दी| उम्मीद तो यही थी कि कोई भी और कही बी नौकरी मिल जाऐं मगर मे असफल रहा| लेकिन मे अपने दोस्तों के लिए खुश था जिन्हे नौकरी मिली थी| इस साल भी मेरी कोशिश है कि कही भी नौकरी लग जाऐं, अब आगे देखते है, होता है क्या|
Saturday, September 15, 2007
aatankwadi kaun
आतंकवादी कौन
इस लफ़्ज़ के साथ आप किन-को शामिल करना चाहेंगे? मेरे ख्याल मे बहुतों का जवाब होगा ओसामा और उसकी तरह के मुसलमान जीनों ने हजारों लोगो कि जाने ली है| दूसरी ओर बहुत सारे ओसामा को इमाम के बराबर और बुश और उसके साथियों को अफग़ानिस्तान और इराक के खिलाफ जंग लड़ने को एक घिनौना जुर्म मानते है| मेरे लिस्ट मे ये दोनो शामिल तो हे ही मगर इनके साथ वे तमाम नेताओं भी शामिल है जो हर देश मे है, और जो रोज़ आम आदमी कि जिंदगी से खेलते है| ये तमाम लोग एक बड़ा ही खतरनाक खेल खेल्ररहे है जिसमे वे फितरती तारीख़े से चंद लोगो को अपना मोहरा बनाते है और उन्हे अपना हथियार बनाकर बेगुनाहों के खिलाफ इस्तेमाल करते है|
ये काफी सदियों से चले आ रहा है लेकिन हम इनके ना पाक इरादों से अनजान है और अगर जानते भी हे तो अनजान बने रहने कि कोशिश करते है| कौन जुटा है और कौन ज्यादा जुटा है ये अपना अपना नज़रिया है| अगर सीधी उंगली से घी नही निकलता तो उंगली ठेड़ी करनी पड़ती है|
इस लफ़्ज़ के साथ आप किन-को शामिल करना चाहेंगे? मेरे ख्याल मे बहुतों का जवाब होगा ओसामा और उसकी तरह के मुसलमान जीनों ने हजारों लोगो कि जाने ली है| दूसरी ओर बहुत सारे ओसामा को इमाम के बराबर और बुश और उसके साथियों को अफग़ानिस्तान और इराक के खिलाफ जंग लड़ने को एक घिनौना जुर्म मानते है| मेरे लिस्ट मे ये दोनो शामिल तो हे ही मगर इनके साथ वे तमाम नेताओं भी शामिल है जो हर देश मे है, और जो रोज़ आम आदमी कि जिंदगी से खेलते है| ये तमाम लोग एक बड़ा ही खतरनाक खेल खेल्ररहे है जिसमे वे फितरती तारीख़े से चंद लोगो को अपना मोहरा बनाते है और उन्हे अपना हथियार बनाकर बेगुनाहों के खिलाफ इस्तेमाल करते है|
ये काफी सदियों से चले आ रहा है लेकिन हम इनके ना पाक इरादों से अनजान है और अगर जानते भी हे तो अनजान बने रहने कि कोशिश करते है| कौन जुटा है और कौन ज्यादा जुटा है ये अपना अपना नज़रिया है| अगर सीधी उंगली से घी नही निकलता तो उंगली ठेड़ी करनी पड़ती है|
Friday, September 14, 2007
बढ़ती आबाधि
बढ़ती आबादी
बस कुछ ही सालों की बात है, हिंदुस्तान की आबादी चीन से भी बढ़कर होगी| सरकार इसको निपटने के लिये क्या-क्या कर रही है इसका मुझे ज्यादा पता नही, लेकिन मेरे हिसाब से इस मसले के हल है शिक्षा|
हमारे देश के गाँवों मे लड़के का जन्म अच्छा माना जाता हे और लड़कियों का बुरा| लड़के का फ़र्ज़ हे पूरे परिवार का भार उठाना और लड़की का घर का काम सीखना और एक दिन निकाह करके पराया हो जाना| इसलिये परिवार का मरद तब तक बच्चे पैदा करता है जब तक लड़का न हो| आखिर मे जब लड़का पैदा होता है तो पिताजी ख्याल करते हे कि ये बड़ा होकर अपनी बहनों का निकाह कर्वायेग़ा और बुढ़ापे मे हमारी देखरेख करेगा और ऐसे ही ज़िदग़ी भर तीर्जिया इस बंदे के ज़िस्त का मुक़्क़द्दर बन जाती है|
जब तक लोग औरत जात की महत्वाकांक्षा को मान्यता नही देंगे और दोनो लड़के और लड़कियाँ को स्कूल नही भेजेंगे तब तक ग़रीबी,अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या दीमक बनकर हमारे वतन को कमजोर करती जायेग़ी| अगर सरकार की कोशिश से औरत और मर्दों को बराबरी की शिक्षा दी जाऐं और मर्दों कि तरह औरतों को उनके पसंद का काम करने का मौका मिले तो हम जनसंख्या विस्फोट से निपटने का सुझाव ढूँढ सकते है|
बस कुछ ही सालों की बात है, हिंदुस्तान की आबादी चीन से भी बढ़कर होगी| सरकार इसको निपटने के लिये क्या-क्या कर रही है इसका मुझे ज्यादा पता नही, लेकिन मेरे हिसाब से इस मसले के हल है शिक्षा|
हमारे देश के गाँवों मे लड़के का जन्म अच्छा माना जाता हे और लड़कियों का बुरा| लड़के का फ़र्ज़ हे पूरे परिवार का भार उठाना और लड़की का घर का काम सीखना और एक दिन निकाह करके पराया हो जाना| इसलिये परिवार का मरद तब तक बच्चे पैदा करता है जब तक लड़का न हो| आखिर मे जब लड़का पैदा होता है तो पिताजी ख्याल करते हे कि ये बड़ा होकर अपनी बहनों का निकाह कर्वायेग़ा और बुढ़ापे मे हमारी देखरेख करेगा और ऐसे ही ज़िदग़ी भर तीर्जिया इस बंदे के ज़िस्त का मुक़्क़द्दर बन जाती है|
जब तक लोग औरत जात की महत्वाकांक्षा को मान्यता नही देंगे और दोनो लड़के और लड़कियाँ को स्कूल नही भेजेंगे तब तक ग़रीबी,अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या दीमक बनकर हमारे वतन को कमजोर करती जायेग़ी| अगर सरकार की कोशिश से औरत और मर्दों को बराबरी की शिक्षा दी जाऐं और मर्दों कि तरह औरतों को उनके पसंद का काम करने का मौका मिले तो हम जनसंख्या विस्फोट से निपटने का सुझाव ढूँढ सकते है|
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