लालबहादुर शास्त्री भारत के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हुए जो सादगी का मिसाल थे। उन्हें प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के निधन के बाद देश का दूसरा प्रधानमंत्री (२ जून १९६४) चुना गया था। बदकिस्मती से वे सिर्फ १९ महीने ही प्रधानमंत्री रहे।
भारत-पाकिस्तान की जंग के बाद ताशकंद में एक समझौता वार्ता हुई जिसमें शास्त्रीजी भी मौजूद थे। इस वार्ता में भारत को जीती हुई जमीन लौटाना थी। शास्त्रीजी यह सदमा बर्दाश्त न कर सके और वहीं उनका हृदयाघात के बाद निधन हो गया।
लेकिन उन्हें सादगी और ईमानदारी के कारण आज भी राष्ट्र सच्चे मन से याद करता है। उनका जन्म २ अक्टूबर १९०४ को वाराणसी जिले में मुगलसराय के अत्यंत साधारण परिवार में हुआ था। पिता शारदाप्रसाद शिक्षक थे। वे जब दस वर्ष के थे तभी पिता का निधन हो गया। उनकी परवरिश ननिहाल में हुई। परिवार की गरीबी, सादगी उनकी आत्मा से हमेशा चिपकी रही।
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वे एक आम आदमी की तरह ही अपने को मानते थे। वे जितने अच्छे व नेक इंसान थे उतने ही आला दर्जे के कुशल प्रशासक भी थे। उनके प्रधानमंत्री काल में सूखा प़ड़ गया तो खुद सप्ताह में एक दिन व्रत रखते थे। इसका असर लोगों में भी दिखाई दिया और देश में कई लोग शास्त्रीजी के संकल्प का पालन करने लगे।
२ अक्टूबर को शास्त्रीजी की जयंती गाँधी जयंती के साथ आती है इसलिए अकसर उन्हें कम याद किया जाता है, लेकिन देश के लिए उन्होंने जो योगदान दिया है, वह किसी बड़े स्वतंत्रता सेनानी या देशभक्त से कम नहीं है।
Tuesday, October 2, 2007
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