Monday, October 8, 2007

होली पर क्या ना करे

होली मुख्यतः आनंदोल्लास तथा भाई-चारे का त्योहार है। जैसे-जैसे समय गुजरता गया वैसे-वैसे इसको मनाने के ढंग में बुराइयाँ भी प्रविष्ट होती चली गईं। इससे मित्रता तो दूर उल्टा शत्रुता ने जन्म लेना शुरू कर दिया।

इस अवसर पर अबीर, गुलाल तथा सुंदर रंगों के स्थान पर कुछ असभ्य तथा मंदबुद्धि लोग कीचड़, गोबर, मिट्टी, न छूटने वाला पक्का जहरीला रंग आदि का प्रयोग करते हैं। इससे इस त्योहार की पवित्रता जाती रहती है। अतः इनका प्रयोग न करें।

इस अवसर पर गंदे तथा बुरा हँसी-मजाक भी नहीं करना चाहिए।

टाइटल देते समय हमें दूसरों के आत्म सम्मान का विशेष ध्यान देना चाहिए।

हमें इस त्योहार पर किसी के हृदय को चोट पहुँचाने वाला व्यवहार नहीं करना चाहिए।

इस दिन होलिका दहन में गीले दरख्त को काटकर आग की भेंट नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे हमारी कीमती लकड़ी का नुकसान तो होता ही है, साथ ही माहौल का विनाश भी होता है।

इसप्रकार हमें प्रेम और एकता के इस त्योहार को हर्ष और उल्लास के साथ ही मनाना चाहिए।

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