करेले का नाम सुनते ही जीभ में कड़वाहट-सी घुल जाती है, परंतु इसके कड़वेपन पर न जाएँ, औषधीय गुणों की दृष्टि से यह किसी भी अन्य सब्जी या फल से कम नहीं।
करेला ग्रीष्म ऋतु की खुश्क तासीर वाली सब्जी है। इसमें फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह कफ की शिकायत दूर करता है|
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है। पेट में गैस बनने या अपच होने पर करेले के रस का सेवन करना चाहिए। लकवे के मरीज को कच्चा करेला बहुत फायदा करता है।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है। यकृत संबंधी बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने या यकृत बढ़ जाने पर आधा कप पानी में 2 बड़ी चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से लाभ होता है। पीलिया रोग में पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
करेला रक्तशोधक सब्जी है। मधुमेह के रोगी को एक चौथाई कप करेले के रस में समान मात्रा में गाजर का रस मिलाकर पिलाना चाहिए। खूनी बवासीर होने पर 1 चम्मच करेले के रस में आधा चम्मच शकर मिलाकर एक माह तक सेवन करने से खून आना बंद हो जाता है। गठिया या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस की मालिश करना चाहिए।
Monday, October 8, 2007
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